कोरोना को पराजित करने को
अपनी हद में रहें सदा ,फिर काहे का रोना ।
क्या पैसा क्या बाहुबल, विवश सभी का होना ।
प्रकृति प्रकोप में संयम, दूर करे कोरोना ।।
प्रकृति प्रवृति पर प्राप्त विजय, अध्यात्म पंथ दिखाया ।
नदी नदी मद त्याग हंस,मन मानसरोवर आया ।।
छोड़ क्रीट मोती चुनें, जीवन बनें सलोना ।
प्रकृति प्रकोप में संयम, दूर करे कोरोना ।।
भोगवाद के बीच नर,अन्तरिक्ष तक सत्ता ।
पार हुई मर्यादा तो,किया काल अलबत्ता ।।
लेकर वरदान स्वयं का,भस्मासुर का होना ।
प्रकृति प्रकोप में संयम, दूर करे कोरोना ।।
स्पर्धा गत मन्थन में नर, खुद को विजयी माना ।
कोमलता की ताकत का, रूप नहीं पहचाना ।।
अपनी हद में रहें सदा, फिर काहे का रोना ।
प्रकृति प्रकोप में संयम, दूर करे कोरोना ।।
कवि ।डा,सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी पथिक, प्राचार्य बिशन नारायण इंटर कालेज हजरतगंज लखनऊ
अपनी हद में रहें सदा ,फिर काहे का रोना ।
क्या पैसा क्या बाहुबल, विवश सभी का होना ।
प्रकृति प्रकोप में संयम, दूर करे कोरोना ।।
प्रकृति प्रवृति पर प्राप्त विजय, अध्यात्म पंथ दिखाया ।
नदी नदी मद त्याग हंस,मन मानसरोवर आया ।।
छोड़ क्रीट मोती चुनें, जीवन बनें सलोना ।
प्रकृति प्रकोप में संयम, दूर करे कोरोना ।।
भोगवाद के बीच नर,अन्तरिक्ष तक सत्ता ।
पार हुई मर्यादा तो,किया काल अलबत्ता ।।
लेकर वरदान स्वयं का,भस्मासुर का होना ।
प्रकृति प्रकोप में संयम, दूर करे कोरोना ।।
स्पर्धा गत मन्थन में नर, खुद को विजयी माना ।
कोमलता की ताकत का, रूप नहीं पहचाना ।।
अपनी हद में रहें सदा, फिर काहे का रोना ।
प्रकृति प्रकोप में संयम, दूर करे कोरोना ।।
कवि ।डा,सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी पथिक, प्राचार्य बिशन नारायण इंटर कालेज हजरतगंज लखनऊ